क्या हुआ
क्या हुआ
काम काम के चक्कर में
जीवन की खुशियां बिखर गई।
जिसको अपना माना था
उसने ही धोखा दे डाला।
अब न घर, ऑफिस का रहा में
अब धोबी का कुत्ता बन बैठा।।
जीवन के चौराहा पर आकर,
फिर से वही खड़े हो गए।
जहां से शुरु की थी जिंदगी,
अब फिर से शुरू वही से करना है।
जो कुछ सीखा और लिया अनुभव,
सब कुछ वो बेकार हो गया।
मानो जीवन की सारी तपस्या,
फल कुछ भी हमें नहीं मिला।