क्या डरना
क्या डरना
इन ऊँची ऊँची दीवारों से क्या डरना
नागफ़नी के इन ख़ारों से क्या डरना
तुम तूफाँ से आँख मिलाने वाले हो
छोटी मोटी बौछारों से क्या डरना
कितने सूरज खा कर तुम से मात गए
टिमटिम करते इन तारों से क्या डरना
तुम मूसा के वंशज हो क्या याद नहीं
नमरुदों के अंगारों से क्या डरना
भूल गए क्या करबल वाला तुम मंज़र
बुलडोज़र बम तलवारों से क्या डरना
डरना है तो उससे डर जो ख़ालिक़ है
दुनिया के इन सरदारों से क्या डरना
तेरा रस्ता हक़ है इस पर बढ़ता चल
क़ागज़ के इन क़िरदारों से क्या डरना
फ़र्ज़ है तुझ पर इकजहती को ज़िंदा कर
आग उगलते अख़बारों से क्या डरना
दुश्वारी में अपना रास्ता ढूँढ मकीन
टेढ़े मेढ़े गलियारों से क्या डरना।