क्या अब ये
क्या अब ये
इतना शोर चहूँओर
घिरती घटा घनघोर
बिछडे अपने सब ओर
गिनती का नहीं दौर
सोचा,जोड़ेगे सब तब
लगने लगेगा ये जब
रूक जायेगा भी रब
और पूछेंगे हम सब
क्या अब ये थम गया !
इस सच् को क्या कहें
इतनी हिम्मत क्यूँ करें
ऐसा होगा ऐसे क्यूँ ड़रें
अपनो को फिर याद करें
क्या ये थम गया !
जिसके बस मे ये है
अब तो कोई नहीं है
झूठा वादा तो क्या
झूठा सपना सब है
मजबूर, हारे सब जन
फिरकी ताकत य़ा मन
ये तो सबका दुश्मन
रखा रह गया सब फन
तुमको तो था अभिमान
देते थे सबको ज्ञान
क्या हुआ चकनाचुर
अहंकर और गुरूर
तभी तो सोचते मजबूर
क्या अब ये थम गया !!