कविता
कविता
कविता तो उसकी
आंखों में थी
उसके होंठों में थी
उसकी ज़ुल्फों में थी
उसकी पलकों के
कोरों में थी
उसके मन में थी
या यह कहूँ
कविता तो उसके
हर अंदाज़ में थी
वो खुद एक काव्यपाठ सी थी
और मैं मूर्ख
कविता किताब से
पढ़ रहा था
शायद इसीलिए नही
सीख पाया...
