कविता
कविता


जल रही जालिम जवानी आप क्यूं खामोश हैं
उठ रही दिल मे रवानी आप क्यूं खामोश हैं ।
शोख चंचल सी अदाएं आपको दिखती नही
लुट रही मेरी जवानी आप क्यूं खामोश हैं ।
आपकी सूरत के सिवा कुछ नही दिखता मुझे
हो गई हूं में दिवानी आप क्यूं खामोश हैं ।
दिल के दर्दों को भुलाना मेरे बस में अब नही
सब यही कहते हैं जानी आप क्यूं खामोश हैं ।
अपने दामन पर लिखी हैं आंसुओं से सींचकर
प्यार की अनुपम कहानी आप क्यूं खामोश हैं ।
आँख न फेरो सनम अब रंग में रंग लो मुझे
हो गई हूं में सयानी आप क्यूं खामोश हैं ।