कुण्डलियां
कुण्डलियां
लड़ता काबिल वीर है, लेकर अपनी फौज
करता वो चिंता नहीं, दिल का है मन मौज।
दिल का है मन मौज, जान पे वीर खेलता
भारत पर कुर्बान, तेज वार को झेलता।
सहकर सारे जख्म, रहे खड़ा नहीं डरता
मरते दम तक वीर, दुश्मन से रहे लड़ता।
लड़ता काबिल वीर है, लेकर अपनी फौज
करता वो चिंता नहीं, दिल का है मन मौज।
दिल का है मन मौज, जान पे वीर खेलता
भारत पर कुर्बान, तेज वार को झेलता।
सहकर सारे जख्म, रहे खड़ा नहीं डरता
मरते दम तक वीर, दुश्मन से रहे लड़ता।