कुण्डलिया
कुण्डलिया
आता पढ़णे म्हं हमें, खूब घणा आनन्द।
घणी गजब की है विधा, ये कुण्डलिया छंद।
ये कुण्डलिया छंद, मर्म को खोल बताये।
पहले दोहा फेर, छंद रोळा का आये।
इसका लय सुर ताल, सभी के मन को भाता।
हो जिससे शुरुआत, शब्द पाच्छै वो आता।
