कुछ तूफानी करते हैं
कुछ तूफानी करते हैं
बहुत खाली से बैठे थे, सोचा कुछ तूफानी करते हैं,
तूफानी सोचा तो सोचा, बीवी से छेड़खानी करते हैं,
करें तो कुछ बड़ा करें, हम क्या तूफानों से डरते हैं,
कहा कि आओ प्रिये, बहुत दिन हुए चलो लड़ते हैं।
लगा कि ये निमंत्रण, उसके अरमान पूरे कर गया,
इससे पहले की समझते, कुछ दस ताना पड़ गया,
हमने तो मजाक किया था, पर भारी पड़ गया,
इसे ही शायद, सर मुड़ाते ओले पड़ना कहते हैँ।
अब हम थोड़ा सा संभाले और दो तीन लफ्ज़ बोले,
हम क्या बोले जनाब हमने तो अपने ही शामत तोले,
बात अब मेरे हाँथ से बिल्कुल निकल चुकी थी,
उस दिन पता चला पति बोले तो बतंगड़ कहते हैं।
अब बात तानो के अस्त्र से, घातक शश्त्रो पर आ गयी,
जब तक हम और संभलते, वो आँसू बहा चुकी थी,
उसके आँसुओ का तूफान, मेरा हौसला बहा ले गया,
बहुत हो चुका तूफानी, बात माफी पर खत्म करते हैं।
उस दिन समझे, बीवी मज़ाक करने का सामान नही,
वो ज़िन्दगी की माँझी है, कोई बेतुका तूफान नही,
जब उसके आँसू पोंछे, तो उन आँखों में ये गौर किया,
पंकज खुशबू और ख्वाब बन कर, उन आँखों में रहते हैं।