कुछ इस तरह हो तुम जिंदगी...
कुछ इस तरह हो तुम जिंदगी...
यूं तो तुम अकेली नहीं जिंदगी
वक़्त की हमसफर बन साथ चलती जिंदगी
थोड़ी खुशी थोड़ी गम या फिर संघर्षों में बंटी जिंदगी
पल पल बदलते ख्वाहिशों हसीन ख्वाबों की जिंदगी
डोर हाथों में थाम गुदगुदाती हंसाती रूलाती
और पहेली बन उलझाती सवाल करती जिंदगी
कांटों पे चलकर मंजिल तलाशती और
अंधेरों से झांकती सूरज की लालिमा सी जिंदगी
मोड़ पे करवटें लेती जिंदगी
तो जीने का हौसला देती जिंदगी
जाने कितने रंगों की घूंघट ओढ़े जिंदगी
हौले हौले घूंघट उठाती , लम्हा लम्हा
नये चेहरों से रुबरु कराती जिंदगी
कभी खामोशी से कभी बेबाकी से
कुछ कहती कुछ समझा जाती
हर अदा हर अंदाज बयां करती जिंदगी
कितने जज्बातों कितने एहसासों
की परतें खोलती जिंदगी
पर लगता अनसुलझी कहानी हो जिंदगी
शायद कुछ इस तरह हो तुम जिंदगी
कुछ इस तरह हो तुम जिंदगी...
