कुछ गलतियों को माफ करना।
कुछ गलतियों को माफ करना।
1 min
261
जिंदगी मुझको कुछ इस तरह छलती रही।
कुछ गलतियों को माफ करना मेरी गलती रही।
आज उस दोराहे पर लाकर खड़ी है जिंदगी।
हम अकेले रह गए तेरी कमी खलती रही।
कौन कहता है जगत नादानियों का खेल है
हर कदम शह मात की बाजी यहां चलती रही।
चलते रहे कामयाबी के शिखर की चाह में।
आरजू मेरी बया सी घोंसला बुनती रही।
ना कोई इकरार तेरा , ना कोई तकरार थी।
मुट्ठी से सरसों की जैसी उम्र भी झरती रही।