कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं


मंज़िलें इन राहों के सिवा कुछ भी नहीं,
ये ज़िंदगी अहसासों के सिवा कुछ भी नहीं।
इंतेज़ार मैं एक रात के, दिन गुज़ार दिया,
पर रात तो ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं।
उसने ईंट दर ईंट, तेरा घर बना दिया,
जिसके हाथ पर छालों के सिवा कुछ भी नहीं।
ज़िंदगी, तुझे जीने के बाद महसूस किया हमने,
तू रंगीन कुछ ख़यालों के सिवा कुछ भी नहीं।
किन लोगों से तुमने सच की उम्मीद की,
जिनके होंठ पर तालों के सिवा कुछ भी नहीं।
"आयुष" तुमने उस रोज़ कही बड़ी एक बात थी,
आप ही, बस आपके, इसके सिवा कुछ भी नहीं।