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Ayush Jain

Abstract

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Ayush Jain

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कितना अच्छा है

कितना अच्छा है

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ये दरिया, ये महफ़िल, ये हवाएँ, सब कितना अच्छा है,

तू जो साथ है मेरे तो मौसम कितना अच्छा है।


मेरी निगाहें तेरे चेहरे से कभी हटती ही नहीं

तूने तो कहा था, ताज महल कितना अच्छा है।


मेरे नाराज़ होने पर, आप यूँ फूल जाते हैं,

आप बताएँ, आपका लहजा कितना अच्छा है ?


जुदा होने से तो बस, ग़म ही नसीब हुआ,

ग़र हम साथ हो जाएँ तो कितना अच्छा है।


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