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Ayush Jain

Others

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Ayush Jain

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मेरी कलम 🖊

मेरी कलम 🖊

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वो सारे सिक्के रखे हैं मेरे ख़ज़ाने में,

जिसे लगे थे तुम अपना बनाने में ।


क्या कहा ? आसमान चीर दोगे,

अरे कई देखे हैं तुम जैसे जमाने में ।


एक दिन वो सब ऊँचाईयाँ छू लेगा,

जिसे लगे हैं आज सारे दबाने में ।


अब तो ये शीशा टूट ही गया,

वक़्त लगेगा टुकड़े उठाने में ।


एक दिन ये सूरत मिट्टी में मिल जाएगी,

वक़्त ज़ाया मत करो इसे सजाने में ।


वो तो अपना था ही नहीं फिर कैसा ग़म,

एक उम्र लगेगी दिल को ये समझाने में ।



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