कुछ भी न लिख पाना
कुछ भी न लिख पाना
आजकल न जाने क्यों मैं लिख ही नहीं पा रही हूँ .....
ऐसा नही है कि विषय नही है या कागज़ कलम नही है....
बल्कि सब कुछ होने के बावजूद कुछ लिख नही पा रही हूँ ....
मेरे मन में ख़याल तो बहुत आते हैं ....
वे मन मे बेहद उथल पुथल भी करते हैं...
किंतु परंतु करते हुए मैं उन्हें कागज़ पर उतारने की कोशिश करती हूँ ....
कितने सारे कागज़ मैं काले करते जाती हूँ .....
लेकिन हर बार सारे ड्राफ्ट फाड़कर फेंक देती हूँ ....
क्योंकि मैंने जान लिया है कि मन मे बिखराव होने पर न तो कविता बनती है और न कहानी भी.......
