करवा चौथ
करवा चौथ
अब रहा उसके न बिन जाता भाया ऐसा मुझे
खूबसूरत वो ख़ूब लगता चाँद सा चेहरा मुझे
प्यार का ऐसी रवानी छायी है मुझ पे उसकी
रात दिन यादों का उसकी ही असर होता मुझे
बिंदिया चूड़ी कुमकुम कंगन भेजा कल उसे
आ गया है यारों करवा चौथ ये लगता मुझे
आँख भर के दिल करे मैं देखता उसको रहूं
दुल्हन सजकर वो सनम जब भी की मिलता मुझे
जिंदगी में मेरी दुल्हन अब बनाकर भेज दें
इंतिजार उसका ख़ुदा अब और नहीं होता मुझे
दिल दीवाना हो गया अपना बनाने को उसको
आज उसनें आँख भर के ऐसा देखा मुझे
नथनी पहने वो हंसी सूरत वो हाथों चूड़ी
देखकर उसको नशा ही प्यार का चढ़ता मुझे
इस क़दर देता रवानी प्यार की उसनें अपनी
प्यार का आज़म अगर जो फ़ूल वो देता मुझे
आज़म नैय्यर
उत्तर प्रदेश सहारनपुर
