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Ranjana Dubey

Tragedy

4.7  

Ranjana Dubey

Tragedy

कर्तव्यों की डगर पर सरकारी कर्मचारी

कर्तव्यों की डगर पर सरकारी कर्मचारी

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कर्तव्यों की डगर पर सरकारी कर्मचारी,,, 

तन कृशित मन बिह्वल फिर भी कर्तव्य निभाता है, 

उसकी हालातों की फ़िक्र कहाँ ओ सरकारी पैसा पाता है,, 

अपनों खातिर छुट्टियां बचाता,, अपनी हालातों पर ध्यान न देता, 

कभी इधर कभी उधर जीवन भर नहीं उसके फुर्सत के पल,, 

आखिर जो इसी के खातिर गुजारी थी कितनी जागके रातें,, 

पर कसक इस बात की यहाँ सच्चाई का कोई लेखा नहीं सिर्फ बात प्रमाण पत्रों की 

जो जल्दी बनता ही कहाँ,, 

अब रूह कांप उठी जो चुनाव ड्यूटी 

विश्व काँप रहा कोरोना के दंश से 

हर कोई संक्रमित है 

जीने के लाले पड़ गए पर ये सरकारी महकमा का बेबुनियाद निर्णय 

कार्य सम्पादन का निर्णय ओ करता जिन्होंने कार्य किया ही नहीं 

शब्दों में बया नहीं होती ये दशा त्रिस्तरीय चुनाव की 

क्योंकि जिताना था उसको जो उन्हें चंद गिफ्टों में ख़रीदा था 

नहीं आभास उनको सामाजिक दूरी की संक्रमण की दुश्वारियों की 

उन्हें तो चंद नोट के टुकड़ो का दिग्भ्रम था 

पर ओ कर्मचारी जो इस ड्यूटी की वजह से संक्रमित हो चुका होगा 

बन गया होगा परिवार में बीमारी का वाहक 

सजा नहीं तो और क्या है ये निर्णय, 

देश बंद है बीमारी अपना दामन फैला चुकी है 

पर चुनाव क्यों इतना जरूरी था,, 

क्या यही लोकतंत्र है क्या यही मानवता है 

जिसमे लोगों के स्वास्थ्य का कोई स्थान नहीं,, 

स्वास्थ्य प्रमुख हो समाज में सबसे प्रार्थना हमारी,, 

ताकि सफलता पूर्वक समाजोन्नति में योगदान दें सकें 

कर्तव्यों की डगर पर सरकारी कर्मचारी....। 



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