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Ranjana Dubey

Tragedy

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Ranjana Dubey

Tragedy

रिश्तों के अनछुए धागे....

रिश्तों के अनछुए धागे....

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ज़िन्दगी की जंग में चलते चलते हम कहाँ आ गए.......... 

जो न सोचा कभी उसको पाया यहाँ... 

जाने कितनी चाहतों को खोया यहाँ.. 

हाँ हम वहीं के वहीं रह गए...... 

क्या कमी रह गयी मेरे खुदा,,, 

प्यार के बोल भी हैं बड़े कीमती.... 

सारे सुख जिनके आगे होते हैं फीके... 

भाव के दो बोल जाने वो कहाँ खो गए..... 

ज़िन्दगी........... 

कभी कर सकूँ शिकवा दिलों की,, 

कभी सुनू मैं भी अरमान मन की.. 

दर्द दिल का न कह सकी आज तक... 

खुद को खुद ही समझायी हर घड़ी... 

रिश्तों के वो धागे कहाँ रह गए....... 

ज़िन्दगी..... 

पंख था पसारा बड़े शौक से,, 

उड़ न सकी राह मुश्किल भरी है.. 

कह न सकी मन भरा है बहुत... 

जाने अरमाँ कितने रीते रह गए.... 

ज़िन्दगी..... 

शत शत शुक्र गुजार मिला जो यहाँ.. 

सपनों का संसार होता सच्चा कहाँ.. 

भौतिकता की ओढ़े चादर भाव क्यों खो गए........ 

ज़िन्दगी........ 



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