कृष्ण भजन मन गाता है....
कृष्ण भजन मन गाता है....
कृष्ण भजन मन गाता है,
उसका ही नाम मन में आता है।
उसका नाम जब भी मैं सुनूँ, मेरा रोम-रोम मुसकुराता है,
कृष्ण भजन मन गाता है,
प्रेम का नाजुक धागा है, जिसने प्रभु को हमसे बाँधा है,
कृष्ण भजन मन गाता है,
उसका ही नाम मन में आता है।
प्रभु महिमा का गान करूँ, उसका मन में धीरज में धरूँ,
आब तो मन यही चाहता है, कृष्ण, कृष्ण ही ध्याता है।
हुए है बरसों अब प्रभु को देखे, अब तो दिल मिलना चाहता है,
प्रेम वहीं इस दिल का मेरे, वहीं तो मेरे भाग्य विधाता है।
कृष्ण भजन मन गाता है,
उसका ही नाम मन में आता है।
प्रभु दर्शन जब दिन आए, हाथ में अपने थाल सजाए,
करूँ आरती अपने भगवन की, दिल तो मेरा बस यही चाहें,
चरणों में फूलों का अर्पण, बस दिल से हो एक समर्पण,
रोम-रोम में कृष्ण समाए और कहीं कुछ नजर ना आए,
कृष्ण भजन मन गाता है,
उसका ही नाम मन में आता है।
