क्रोध
क्रोध
जो देखे वतन की और मेरे,
सीधा खंज़र घोपूँ सीने में..
जल जलती है, उठ उठती है,
सीने में भरी मेरे चिंगारी..
ना डरता हूँ, ना झुकता हूँ,
जान निछावर करता हूँ..
शोले है, दहकते आँखों में,
सीने में भरी मेरे चिंगारी..
पथ-पथ है खड़ा,
दुश्मन मेरे देश का..
बचाना है मुल्क अपना,
आतंकियों से जरा..
सीने में भरी मेरे चिंगारी..
मैं खौफ़ में पलता नहीं,
निडर राहों पर अब निकल चला..
ए-ज़माने देख तू अब,
जान हथेली पर रख चला..
सीने में भरी मेरे चिंगारी..
भुलाये नहीं भूलती वो रात,
शहीद हुए थे वतन रखवाले,
बन कर एक मिसाल..
सीने में भरी मेरे चिंगारी..
तुमने हज़ारों जुल्मो को,
सहन हँस-हँस कर किया..
तुम्हें शत-शत नमन मैं करता हूँ,
सीने में भरी मेरे चिंगारी..।।
