कुछ रिश्ते
कुछ रिश्ते
कुछ रिश्ते अनजाने से,
कुछ अनकहे से..
मन लगता नहीं उन बिन।
ज़िन्दगी में जी चाहता नहीं
जीना उन बिन
ज़िन्दगी में कुछ रिश्ते बेनाम से,
कुछ ख़ामोश से।
सब कुछ ज़िन्दगी में पाया सा लगा
सब कुछ ज़िन्दगी में गवाया सा लगा
कुछ रिश्ते खुशियों के,
कुछ ग़मो के।
यादों में जीना ही बन गई है ज़िन्दगी
उन बिन वीरानी सी हो गई है ज़िन्दगी
कुछ रिश्ते सदियों के,
कुछ पल भर के।
उन्होंने पिरोया साथ ज़िन्दगी में मोतियों सा
उनके अश्क़ों ने छीना समंदर खुशियों का
कुछ रिश्ते रूहानी से,
कुछ क़ुर्बानी से।
खुदा भी दो दिलो को मिलाता है
मिला के रूह के करीब लाता है
हर दर्द लिख देता है
ज़िन्दगी में ।
मन को तोड़ कर
हर रोज रुलाता है।।
