उड़ा के रंग गुलाल
उड़ा के रंग गुलाल
श्याम की पिचकारी
सिर्फ राधा नाम
आओ रे खेले राधा संग होली रे
उड़ाके रंग गुलाल..
भीगो रे रंगों में
खेलो रे संग में
गोपियों की गलियाँ में
उड़ाके रंग गुलाल..
कान्हा आयो रे ब्रज में
खेलन होली रसिया संग
ऐसी धार मारी रे पिचकारी की
उड़ाके रंग गुलाल..
हर गलियाँ में
हर घर घर में
मचावे धूम फ़ागुन की
उड़ा के रंग गुलाल..
महक उठो रे ब्रज गोविंद को
जब मारी रे पिचकारी रे
दिल डोल गयो मन झूम गयो
उड़ाके रंग गुलाल..
हर जीव में कान्हा बसगयो
रस प्रेम की मन में छोड़ गयो
आओ रे खेले राधा संग होली रे
उड़ाके रंग गुलाल..

