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Sachin Chaturvedi

Romance

5.0  

Sachin Chaturvedi

Romance

बीते लम्हे

बीते लम्हे

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इशारों ही इशारों में मुझसे कुछ कहने लगी।

मदहोशी में वो चुपके से पास आने लगी।


महका महका सा था समा उसके एहसास में।

भींग कर बरसात में ज़ालिम गले से लगाने लगी।


अपने लम्हों में धीरे धीरे मुझे क़ैद वो करने लगी।

यादों के दरमियाँ झुका के आँखें वो शर्माने लगी।


होठों से गुज़र कर वो मेरे सीने से जा लगी।

बीते लम्हों की आज शाम फिर याद आने लगी ।।


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