करो प्रतिज्ञा
करो प्रतिज्ञा
करो प्रतिज्ञा"
नव नूतन नववर्ष की सबको
दिली मुबारक देता हूं
मां वीणापाणि से मैं तो
स्वयं सुमारग लेता हूं !
हे मां शक्ति दो मुझको
मैं आगे क़लम चला पाऊँ
जले हुए बागों में भी मैं
कोई कली खिला पाऊं !!
करो प्रतिज्ञा कोई दिल में
विष को घोल नहीं पाए
कोई शत्रु अंगारों की
भाषा बोल नहीं पाए ,
करो प्रतिज्ञा अधरों की
ललकार दिखाकर शत्रु को
अर्जुन के गांडीव की तुम
टंकार सुनाकर शत्रु को,
करो प्रतिज्ञा राम की गंगा
कभी कहीं ना मैली हो
और कहीं ना यमुना मैया
उरग से कहीं विषैली हो,
करो प्रतिज्ञा कोई दुशासन
भारत में ना जिन्दा हो
हैवानों से "भाग्यविधाता"
कभी नहीं शर्मिंदा हो,
करो प्रतिज्ञा मीरजाफरों को
तुम मार भगाओगे
जयचंदों के शीशों को तुम
धड़ से काट गिराओगे,
करो प्रतिज्ञा आंख तीसरी
महाकाल सी खोलोगे
लाल किले की प्राचीर से
सीना तान के बोलोगे,
करो प्रतिज्ञा काले धन के
काले चिट्ठे खोलेंगे
कलमकार की भाषा
अपने संसद वाले बोलेंगे,
करो प्रतिज्ञा आतंकों की
जड़ को खोद उखाड़ोगे
सिंह दहाड़ो से तुम उनके
तनते सीने फाड़ोगे ,
करो प्रतिज्ञा तुम मर्यादा
दुनिया को सिखलाओगे
पूरी दुनिया को रघुराई
बनकर तुम दिखलाओगे,
करो प्रतिज्ञा अभिमन्यु तुम
बनकर रण में दौड़ोगे
हर दुश्मन के चक्रव्यूह को
भुजदंडों से तोड़ोगे ,
करो प्रतिज्ञा तोप दहानों से
सीने टकराओगे
और हिमालय की चोटी पर
झंडा को लहराओगे ,
करो प्रतिज्ञा बलिवेदी की
आन नहीं मिटने दोगे
बलिदानों के अमर गीत का
गान नहीं मिटने दोगे ,
करो प्रतिज्ञा भारत का
सम्मान नहीं मिटने दोगे
भगत सिंह आजाद का
हिंदुस्तान नहीं मिटने दोगे ।
