"कर्ज"
"कर्ज"
कर्ज ने मध्यम वर्गीय परिवारों को,
इस तरह उलझाया है।
जैसे जान-बूझकर शिकारी ने,
बिल्ली को पिंजरे में फंसाया है।
टेक्स भरें हम, अपना पेट काटकर,
लुटा देते धन, सियासी घोषणाओं पर।
ये कैसी व्यवस्था, कैसे व्यवस्थापक है,
लायक है बेहाल, काबिज नालायक है।
व्यवस्था परिवर्तन के लिए प्रयासरत हूं,
लेकिन चतुर ठगों से, बहुत अधिक आहत हूं।।
