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Alpa Mehta

Classics

4  

Alpa Mehta

Classics

Krisna

Krisna

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तन क्रिष्णा क्रिष्णा है..

मन कृष्णा कृष्णा है..

औ सावरे..

मन बावरे..

तू चित हरण रे..

तेरी प्रीत की तृष्णा है..

तेरी प्रीत की तृष्णा है..

तू "द्वारिकेश "औ "द्वारिकेश "

तेरे महलो में.

तू "द्वारिकेश "

तू हृदय वास ..हर हृदय वास

चाहे बस ले..तू हर जगत वास

पर तू सखा है.. मन मीत है..

मेरे मन आँगन तेरी प्रीत रे..

जोगन बनी हूँ प्यार में ..

तेरे अश्रुधार मेरे नयन में .. 

बहती रही.. बहती रही..

कहती रही कहती रही..

तन कृष्णा कृष्णा है..

मन कृष्णा कृष्णा है..

तेरी प्रीत की तृष्णा है..

तू जग बिराज..

हर जगह बिराजमान 

हर भक़्त काज..

रस भक्त्ति थाल

पर मेरी प्रीत..बस मेरी जीत

न बाट सकूँ.. ये रीत आज..

ये पगलीसी..ये.. पगली.आज

तेरी गालियों में घुमे..गोकुल सी.. आज

सुध बुध आज बिसराये जाये..

धुन गाये जाये.. धुन गाये जाये..

तन कृष्णा कृष्णा है..

मन कृष्णा कृष्णा है..

तेरी प्रीत की तृष्णा है..



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