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Alpa Mehta

Abstract

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Alpa Mehta

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"नारी " एक शक्त्ति स्वरुप

"नारी " एक शक्त्ति स्वरुप

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नारी तू नारायणी

मुक्त तू सशक्त तू

शाम, दाम, दंडतू

भेद तू अभेद तू

रक़्त तू विरक़्त तू एकत्र तू, सर्वत्र तू 

प्रपंच तू, प्रचंड तू

अगन भी तू अनुपम भी तू.

मधुभारती मृभाषिणी तू

लुभावनी, मदमाती तू

अग्नि भी तू, वायु भी तू

बरखा भी तू, बिजली भी तू

पावन भी तू पवित्र तू

कोमल भी तू कँवल भी तू

आसक्ति तू परम शक्त्ति तू

दुष्ट और दानवो का संहार भी तू

अगाध तू अनंत तू

हर नरो का विराम चिन्ह तू

नारी तू, नारायणी तू



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