मेरे भारत के लिये हम कुरबान..
मेरे भारत के लिये हम कुरबान..
सरहद पर लड़ते लड़ते,
यारों हम कुरबान होगये,
जमीं अपनी बचाने,
हम आसमां बन गये |
जलती ज्वाला सिनेमें रखके,
खून की होली खेल गये,
सरहद पर लड़ते लड़ते,
यारों हम कुर्बान हो गये।
न मुलाक़ात हुई आख़री,
दिल अजीजों से
बन गये,
मुसाफिर लम्बे सफर पे निकल गये।
छोटे थे तो तारे ,
आसमां में ढूंढ़ते थे
क्या पता था,
आज उसी आसमां के ,
चमकते सितारे बन गये।
सरहद पर लड़ते लड़ते यारों,
हम कुर्बान हो गये,
छू लिया था समुन्दर की,
लहरों को दूर से।
सोचकर की कहीं डूब गये,
तो बहुत गहरे हो जायेंगे,
पर क्या पता था,
एक दिन लड़ते लड़ते ,
अम्बर तक छू जायेंगे,
सरहद पर लड़ते लड़ते यारों
हम क़ुर्बान होगये,
जमीं अपनी बचाने
हम आसमाँ बन गये|
लहू की नदी को,
जिस्म से बहाके,
खून की होली से अपनी,
धरती माँ को बचाने,
यारों हम तो शहीद हो चले
सरहद पर लड़ते लड़ते
हम तो कुर्बान हो गये |
यूँ जमीं को बचाने,
आसमाँ बन गये,
अपनी मिट्टी की,
सोंधी खुश्बू से,
कफन की चादर को,
महकाके माँ के आँचल तले,
लोरी सुनते सुनते,
हम माँ धरती मे समां गये |
यूँ जमीं को बचाने,
हम आसमाँ बन गये,
लिखेंगे गाथा जब देश के,
वीरों जवानों की,
औ माँ तुझे याद बहुत,
आएँगी तेरे लाल की,
मर कर भी न हम न,
कभी भुला पाएंगे |
हम अमर ही कहलायेंगे,
यूँ जमीं को बचाने हम,
आसमाँ बन गये,
लड़ते लड़ते यारों,
हम कुरबान हो गये.. |
alpa mehta #ek ehesas
