करीब आओ न
करीब आओ न
करीब आओ न
सनम मेरे
मग्न है मन
बेकाबू जां, बेकाबू तन
रूको तड़पाओ न,
करीब आओ न।।
हँसी हँसी में तराशे
मेरी आँखों में तुमने
सपने अपने कई,
तेरे आगोश में
खुशबू से लिपट तेरी
जिन्दगी मदमस्त हुई
सुनो, अब बहलाओ न,
करीब आओ न।।
चाँद तारों तक
पहुँचते नहीं हाथ मेरे
नजरें अपनी
तुम्हारी राह में सजाई हैं,
देखो, इन्हें ठुकराओ न,
करीब आओ न।।

