कोरोना का कहर
कोरोना का कहर
कराह रही थर-थर है दुनिया कोरोना के कोप से,
मंदिर, मस्जिद बंद पड़े हैं, 'महामारी' के प्रकोप से।
कोरोना का कहर, दुनिया में चारों तरफ है छाया,
हँसते-खेलते परिवारों को श्मशान उसने बनाया।
जीवन सबका उथल-पुथल, हुई ज़िंदगी कैद घर में,
डर भयानक इसका बैठा, सारी दुनिया के हर नर में।
घर में रहें, "सुरक्षित" रहें, करें ना कोई अब लापरवाही,
ज़िंदगी अपनी कीमती बंद करें सड़कों पर आवाजाही।
संकट की घड़ी देश पर है छाई, "सरकार" की बात मानो,
कोई न तुम्हारे काम आएगा, ज़िंदगी की कीमत पहचानो।
पैर पसार रही कोरोना महामारी, कर रही ज़िंदगी बर्बाद,
सैनिटाइजर से हाथ धोए बार-बार ज़िंदगी होगी आबाद ।
वक्त की मार देखो, एक तरफ महामारी है चरम पर,
सरकार को है फिक्र नहीं, ध्यान पूरा है "चुनाव" पर।
वैक्सीनेशन भी कम पड़ रहा, खत्म कब होगी बीमारी,
लौटेगी कब पहले जैसी, दिनचर्या और जिंदगी हमारी।
माँ भगवती अब कृपा कर दो, दूर करो महामारी,
भक्त तुम्हारे आस लगाएं बैठे, स्तुति गाएं तुम्हारी।