कोख में मत मारो
कोख में मत मारो
मत मार कोख में मुझे
ऐ माँ तेरी लाडली हूँ मैं..!
तेरे प्यार की निशानी
ज़िस्म के कचरों से पली हूँ मैं ।
तेरी साँसों से बंधकर बड़ी हुई हूँ मैं
इनकार मत करना देखो
हमें भी बाहर की दुनिया देखनी है माँ..!
एकबार सिर्फ हमें आने दो
लिंग-भेद से मेरे दुनिया को सूख जाने दो
बुला ले मुझे अपनी दुनिया में तू
मैं प्यार तुमसे करूंगी ..
मत सुनना तुम इस बेरहम दुनिया की आवाज
वरना आने से पहले तेरे गर्भ में मरूँगी..!
माँ बस एक बार..
तुमसे मेरी विनती है
मेरे शिर पे तू रख दे , देकर कसम अपना हाँथ !
डर लगता है बहुत इस ज़ालिम जमाने से
देख दुनिया भी ड़रती है मुझे अब बुलाने से..!