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Saraswati Aarya

Romance

4  

Saraswati Aarya

Romance

कोई मेरा भी पहला प्यार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था

1 min
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अकेली थी जिंदगी की इन राहों में

एक दिन अचानक किसी ने आवाज दी

तुम कौन हो? 

तुम्हारा नाम क्या है? 

मैं तुम्हें जानना चाहता हूँ

पहचानना चाहता हूँ

उसकी आवाज में एक अपनापन सा

जैसे उसकी बातों में एक इकरार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था

फिर अकेले मेरे पद चिन्हों को

एक साथ मिल गया

अंधेरी रातों सी जिंदगी को

जैसे एक प्रभात मिल गया

मेरी पतझड़ सी जिंदगी में जैसे 

वो बसंत की बहार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था

फिर दिन महीने और साल गुजरने लगे

बिखरे से मेरे हाल

उदासी भरे ख्याल सवरने लगे

मेरे दिन और रातें उसी में खो गयीं

पता ही नहीं चला

मैं कब उसकी हो गयी

यकीन मानिए

बरसों से बंजर जमीं में

वो सावन की पहली बौछार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था

उसे पाने के बाद

किसी चीज की चाहत न थी

किसी बात का दुःख न चिंता

मेरा जिंदगी में सुकून था, राहत थी

अब

बस एक ही तमन्ना की साथ फेरों में बंध के

उसी की हो जाऊँ

हर जन्म बस उसी को पाऊँ

अब वो ही मेरी दुनिया मेरा संसार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था

पर एक दिन

इस दुनिया इस समाज के कारण

बिछड़ गए दो दिल

टूटा सपनों का कारवां

आंसुओं का समन्दर बन गयी

हर गली, हर महफ़िल

लाख कोशिशें की

लड़े इस जमाने से

पर वो अपनी किस्मत में 

कहाँ यार था

कोई मेरा भी पहला प्यार था 

कोई मेरा भी पहला प्यार था।



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