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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Romance

4.4  

नमिता गुप्ता 'मनसी'

Romance

कोई एक जगह..

कोई एक जगह..

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कहां गुम हो !

कब से ढूंढ रही तुमको

व्यस्तताओं के घने जंगल में ,

क्या नहीं पहुंच पाती तुम तक

मेरी कोई भी आवाज ,

कि लौट आती हैं बार-बार मुझ तक

मेरी ही प्रतिध्वनियां !!


याद है न

मिले थे हम-तुम

इसी अक्षय वन में

अपनी-अपनी चिंताओं के संग ,

दिख रहे हो अब भी

चुप-चुप

सुदूर छोर पर

थामे हुए अनबीते कल की परछाइयां ,

और ढूंढ रही हूं मैं भी

कोई एक जगह

बनी होगी जो सिर्फ हमारे लिए ही !!


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