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Dileep Agnihotri

Abstract

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Dileep Agnihotri

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कोई भी मौसम

कोई भी मौसम

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आप मुझको प्यार दे आराम से सो जाइए

दुनिया के इस दस्तूर में तुम शौक से खो जाइए 


दिन रात मैं लड़ता रहूंगा इस घने अंधियार से

जरा भी विचलित नहीं हूं मौसमों की मार से


जानता तुम सुबह उठकर मांग सूरज की भरोगे 

जान मेरी जा रही पर ऋण अदा उसका करोगे 


एक दिन चमकूंगा मैं भी ठोंक कर यह कह रहा 

आशीर्वाद मां बाप का और साथ गुरु का जो रहा।


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