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Dileep Agnihotri

Others

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Dileep Agnihotri

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बच्चे

बच्चे

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हाय मालिक है तूने ये क्या कर  दिया

सब तो अच्छा है बचपन को क्यूँ ले लिया

दे दिया तूने सबको जवानी बुढापा

मगर उस लडकपन को क्यूँ ले लिया

हाय मालिक है तूने ये क्या कर दिया।


जिंदगी वो भी थी चाहे कुछ भी करुँ

चाहे घर पे रहूँ चाहे बाहर रहूँ

पूछता था नहीं  है क्या  करना  तुझे

शाम को बस पिता जी को घर पर मिलूं

डॉट पड़ती थी दिन मे वो हर एक दफे

ऐसी थी जिंदगी याद सब है मुझे

शाम को जब पिता खेत से आते थे

गलतियों को मेरी सब सुना देते थे

प्यार करना भगाना वो घर मे मुझे

मारने को मुझे डंडा फिर ले लिया

सब तो अच्छा है बचपन को क्यूँ ले लिया।


हॉ दिखाता था मैं रोज़ गुस्सा तुझे

गलती मेरी ही हो तू मानती मुझे

छोटी सी बात पे खाना मैं छोडता

बेवजह तुझसे माता मैं मुँह मोड़ता

ताज तलक मैं न खाऊ न तू खाती थी

हाँ सुबह उठके मुझको माँ नहलाती थी

आज लेते मोबाइल ही सो जाता हूँ

माँ की लोरी बिना नींद ना आती थी

हाथ था सर पे माँ का उसे ले लिया

हाय मालिक है तूने ये क्या कर दिया

सब तो अच्छा है बचपन को क्यूँ ले लिया।


              


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