यात्रा
यात्रा
संघर्ष अभी चलता है जो, उसमें यदि ना कोई बाधा हो
कुछ समय लगाकर मंजिल दे, मालिक का यही इरादा हो
जब छोटे थे घर वालों ने कुछ शब्द मुझे यूं बोल दिए
दुनिया में इज्जत पाना है मुंह मोड़ पढ़ाई से ना लिए
कर इंटर जभी लिया मैंने फिर पिता ने मुझको यूं बोला
कुछ और पढ़ाई तो कर ले कॉलेज ने दरवाजा खोला
आगे होनी कठिनाइयां हैं फिर भी कोई ना हारा हो
कुछ समय लगाकर मंजिल दे मालिक का यही इरादा हो
कुछ ठेस लगी थी मुझको भी संघर्ष भरे उस जीवन में
कुछ कटुक शब्द सब कहते थे उत्साह बनाया फिर माँ ने
छोड़ दो यही उन बातों को मंजिल को अपनी ठान लिए
मालिक अपनों की आशा है मत छीन तू उनका मान लिए
भगवान मेरे लिए अपनों ने मन्नत को शायद माना हो
कुछ समय लगाकर मंजिल दे मालिक का यही इरादा हो
संघर्ष अभी चलता है जो उसमें यदि ना कोई बाधा हो
कुछ समय लगाकर मंजिल दे मालिक का यही इरादा हो।
