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Dileep Agnihotri

Others

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Dileep Agnihotri

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रहस्य

रहस्य

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न जाने जमाने में क्या चल रहा 

मुश्किलें हैं सुकूँ का न पल मिल रहा

न पता होगा कब किसके क्या साथ में

जिंदगी में किसी का न कल मिल रहा


सोच कर घर से जाता है कोई कहीं

बस लिखा रब ने जो साथ होगा वही

ना डरे फिर भी सबसे वो छल कर रहा

मुश्किलें हैं सुकूँ का न पल मिल रहा


भूख के मारे हैं तेरा छल सह रहे

कोसते हैं मगर कुछ नहीं कह रहे

हाय लग जाएगी जिंदगी में तेरी

मत सता भूख में पेट को मल रहे

क्या पता कब बुलावा तेरा भेज दे

मौत पर है किसी का न हक चल रहा

जिंदगी में किसी का न कल मिल रहा


डर नहीं है अगर तुझको इंसान से

तेरा लिखता है सब डर तू भगवान से

क्या किया लिख लिया तेरा इस लोक में

पूछेगा जब तू जाएगा परलोक मे 

थे वो युग उनमें भी कुछ गलत होता था

हाँ ये कलयुग यहाँ सब गलत हो रहा

मुश्किलें हैं सुकूँ का न पल मिल रहा

हाय न जाने जमाने में क्या चल रहा


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