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Usha Gupta

Inspirational

4.5  

Usha Gupta

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कन्यादान

कन्यादान

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विवाह है एक अमूल्य पड़ाव जीवन का,

हो एक दूसरे के लिये प्यार व सम्मान,

न कोई छोटा न बड़ा, न आगे न पीछे,

साथ-साथ एक समान।


कहतें हैं कन्यादान है महादान,

कर इसे पुण्य मिलता इतना,

जितना मिलता नहा लेने से गंगा,

निभातें हैं रस्म यह विवाह के समय।


होगा औचित्य कभी कन्यादान का शायद,

क्यों, कैसे का कुछ ज्ञान नहीं,

परन्तु होता है आज भी कन्यादान,

है क्या औचित्य इसका आज?


कर दान वस्तु का भूल जाते हैं,

कभी थी वह वस्तु हमारी,

क्या है कन्या कोई वस्तु,

जिसे कर दान मोड़ लें मुँह।


आज करते प्राप्त शिक्षा एक समान,

करते अर्जित धन एक समान,

फिर क्यों करते हैं कन्यादान?

करेगा क्या कोई पुत्रदान?


 चल

ी आ रही प्रथा विवाह में 

 कन्यादान की न जाने कब से,

 क्या हम कर नहीं सकते,

विवाह बिन इस प्रथा के?


विवाह है मेल दो प्राणियों का,

प्रेम और विश्वास हैं आधार स्तम्भ,

सींचते हैं इस सम्बंध को सम्मान से,

होता है तभी सबल यह सम्बंध।


हैं गाड़ी के दो पहियें स्त्री और पुरूष,

जिनका है महत्व एक समान,

नहीं बढ़ पाती गाड़ी आगे,

होती यदि समस्या एक को भी।


आओ दें सम्मान पूर्ण कन्या को,

न समझें वस्तु उसे दान की,

न करें अपमान जिगर के टुकडे़ का,

करें विवाह न करें कन्यादान उसका।


विवाह है एक अमूल्य पड़ाव जीवन का,

हो एक दूसरे के लिये प्यार व सम्मान,

न कोई छोटा न बड़ा, न आगे न पीछे,

साथ-साथ एक समान।



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