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Shivanand Chaubey

Tragedy

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Shivanand Chaubey

Tragedy

कन्या भ्रुण हत्या

कन्या भ्रुण हत्या

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क्या कसूर है मेरा क्यों मैं गर्भ में मारी जाती हूँ

बेटी हूँ बस बेटी के कारण दुत्कारी जाती हूँ।


क्यों बेटी के जन्म पे सबको कुछ ऐसा हो जाता है

जैसे उसके आने से सब कुछ उनका खो जाता है

शायद वो अनभिज्ञ है तथ्य से माँ व् बहन भी बेटी है

दुल्हन भी है घर घर में लक्ष्मी ये पुकारी जाती है।


तेरी करनी पे मानवता भी मन को मारे रोता है

शर्म भी शर्म से सर को झुकाए बेटी संग क्यों ऐसा होता है

किस अपराध के कारण के कारण मुझको मौत मिला है

बेटी हूँ बस बेटी के कारण मैं हारी जाती हूँ।


जीवन में बेटी के संग क्यूं केवल ऐसा होता है

नाजुक सी मासूम कली खिल भी न सकी उपवन में

बेटे को भी इक बेटी ने ही इस जग में जाया है

खुशियों की मैं हूँ अधिकारी क्यों दिल से बिसारी जाती हूँ !


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