कंघी
कंघी
अपना ले प्यारे सदविचारों की कंघी,
जीवन अपना सजाने संवारने को,
जो जग जाने सदा सदा असंभव,
वह सब संभव कर जाने को।।
कुछ नहीं ये जग भी तेरा,
बस विचारों का खेल हैं,
सदविचारों से जो नाता,
जीवन खुशियों का मेल है।
फिर ले आज यह कंघी,
खुद को आज बदलने को,
तू जो बदला, तो जग बदले,
वसुधैव कुटुंब बनाने को।।