कलयुग में
कलयुग में
सच्चा इश्क़ देखो यहाँ एक गुनाह होता है,
मोहब्बत में आँसू छिपाता कन्हैया रोता है।।
न राधा सी यहाँ कोई, दीवानी ही मिलती है,
न मीरा सी यहाँ कोई, कहानी ही मिलती है।।
पत्थरों को ताला यहाँ अब, इंसान लगाते हैं,
भगवान अब कहाँ किसी की लाज बचाते हैं।।
पक्षी कहाँ कोई यहाँ अब गीत गाते हैं,
कहाँ यहाँ इंसान कोई अब वृक्ष लगाते हैं।।
यमुना भी नदी थी एक, यहाँ बुजुर्ग बताते है,
देखो खुद को कब तक यहाँ मानव बचाते हैं।।