कल्पना
कल्पना
कल्पना का साकार हो जाना
किसी बात के सच होने जैसा
कल्पना अच्छी या बुरी हो सकती है
थोड़ी पूरी थोड़ी अधूरी हो सकती है
कल्पना वास्तविकता से दूर जाकर
जीने का नाम है
कल्पना यथार्थ से दूर
बहुत दूर होती है
किसी स्वप्न का टूट जाना
कल्पना हक़ीक़त से दूर होती है
इंसान जो वास्तविकता में
कर्म नहीं कर पाता
वह कल्पना में साकार हो सकती है
कवि लेखक साहित्यकार
यथार्थ के साथ-साथ
कल्पना लोक में भी जीते हैं
कल्पना एक ख़्वाब का ही दूसरा नाम
हो सकती है
मन की तरह कल्पना की उड़ान भी
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बहुत लंबी होती है
जब यह बंधन टूटते हैं
यथार्थ सामने खड़ा होता है
दिल टूट जाने के जैसा मलाल
कल्पना के ना साकार होने
जैसा ही होता है
कल्पना की हसरत
हमेशा अधूरी ही होती है
व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए
यथार्थ के अनुरूप कार्य करना चाहिए
वर्ना कल्पना का क्या है
कल्पना पंख विहीन पक्षी की तरह होती है
व्यक्ति के कार्य कल्पना भर कर देने से
नहीं पूर्ण होते हैं
जीवन कर्म प्रधान होता है
कल्पना जीवन नहीं होती है।