क़लम
क़लम
अब तो कलम काम बदल देगी ,
इक दिन मिरा ये नाम बदल देगी।
तितली ये जुगनू पास आ बैठेंगे ,
तन्हाई की हर शाम बदल देगी ।
सोये न मन जागे जो ये तन रैना ,
होगा भी क्या आराम बदल देगी।
अच्छा बुरा क्या जाने न ये दुनियाँ,
उन हर्फोँ से अस्काम बदल देगी ।
सुख दुख तो आना जाना है जीवन में,
आयेगा अब पैगाम बदल देगी ।
जिससे मिलूँ मैं बात करूँ दिल से,
होने से जो गुमनाम बदल देगी ।
सींचूंगा दिन भर पेड़ किताबों पे ,
कुदरत खुदा पैगाम बदल देगी ।