कल
कल
कल मन ने फिर उम्मीदें की
ली अंगड़ाई उनींदे ही
बाँध लिया तुमसे कल
अनाम प्यारा रिश्ता.
मन नाच नाच फिर झूम उठा
कल तेरी ख़ामोशी ने फिर
आँखों को परेशान किया
छलके मोती अनगिनत
उससे ज्यादा क़िस्मत से
हम नाराज़ हुए.
तू है ख़ास रंग, छूटा
तो जिंदगी उदास हो जायेगी।