कितनी मोहब्बत थी !
कितनी मोहब्बत थी !

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फुट-फुट कर रोयेगी
बैठ के किसी कोने में,
वो भी मुझे छोड़कर,
कितनी मोहब्बत थी,
मुझे उससे।
पता चलेगा ज़ब जायेगा
कोई उसका दिल तोड़कर,
बीच राह में तन्हा छोड़कर !
फिर मेरे इश्क़ की
क़द्र होगी उसे,
ज़ब समझ में आएगा कि
कितनी मोहब्बत थी।
वो बेपनाह फिर
टूटकर चाहेगी मुझे,
मगर मैं बहुत दूर
जा चुका हुंगा !
वो आवाज देगी,
चीखेगी, चिल्लायेगी
खुद को कोसेगी,
भला-बुरा कहेगी,
अपने आपको।
शायद वो अब
समझ पायेगी कि
कितनी मोहब्बत थी !