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Praveen Gola

Children Inspirational

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Praveen Gola

Children Inspirational

कितने बौने हैं हम ?

कितने बौने हैं हम ?

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कितने बौने हैं हम ?

इस विशाल प्रकृति के आगे,

और क्यूँ ना हों ?

यही तो है जो हमें लिए भागे।


हम पहले भी बौने ही थे,

और प्रकृति थी विशाल,

फिर अचानक हमें हुआ अहम,

और हमने कर लिया खुद को विकराल।


हम बरसाने लगे प्रकृति पर अपना कहर,

काट डाले ढ़ेरों पेडों के शहर,

बसा लिया उस जगह अपना आशियाँ,

मिटा दिया उसका नामोनिशाँ।


पर तब भी हम बौने ही रहे,

अपने दुष्कर्मों के आगे,

वो देती रही हमें तब भी ऊर्जा,

हम जब भी उसकी तलाश मैं भागे।


अब समझ आया हमें,

कि कितने बौने हैं हम ?

और प्रकृति है कितनी विशाल,

जिसके बिना हम हो जायेंगे कंगाल ||


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