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Sumita Mundhra

Children Stories

4.9  

Sumita Mundhra

Children Stories

बाल-हास्य-काव्य

बाल-हास्य-काव्य

1 min
509



      


खेल-खेल में मेरा बाल-पुत्र सी.आई.डी. बन जाता है ,

अपनी नकली दुनाली से दनादन गोलियां बरसाता है ।


एक दिन उसके दोस्त ने आकर एक बुरी खबर सुनाई,

आंटीजी रिषभ ने खून किया,पुलिस उसको लेने है आई ।


उसकी बात सुनकर मैं तो नख - शिख सुन्न हो जाती हूं ,

सब कामों को छोड़छाड़ द्वार तक भागी-भागी जाती हूँ ।


दो बाल-पुलिस ने मेरे पुत्र को गिरफ्तार किया हुआ था,

अन्य दो ने उस लाश को अपने कब्जे में लिया हुआ था ।


लाश के रूप में निकट जमीं पर एक मच्छर मरा पड़ा था,

जिसको देखकर हंसते-हंसते मेरा तो दम ही फूल रहा था ।



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