कितना बदल गया इंसान
कितना बदल गया इंसान
बचा नहीं अब तो ईमान,
कितना बदल गया इंसान।
शिक्षा नीति नकल की हो गई,
अब यहां अक्ल का क्या है काम।
और इल्म की चाह किसे है अब,
डिग्रियां बिकती कोड़ियों के दाम।।
कितना बदल गया इंसान।
डॉक्टरों का अब कोई धर्म नहीं,
मरीज हुआ लॉटरी के समान।
डरा डरा कर लूटते सबको,
जैसे डाकू लूटे कोई सरेआम।।
कितना बदल गया इंसान।
नेताओं की बात निराली,
अरे ये तो इतना खाते हैं।
खाना छोड़कर सबकुछ खाते,
इसलिए इनके फौरन में खाते हैं।
खा लिया सारा देश इन्होंने,
करते पब्लिक का काम तमाम।
कितना बदल गया इंसान।