किताबों में मिले ग़ज़ल
किताबों में मिले ग़ज़ल
दें सकूं गीत ग़ज़ल वो किताबों में मिले
कब सकूं दोस्त मगर इन शराबों में मिले
ढूँढ़ मत प्यार कि लोगों कि न सांसो में बू
यारों ख़ुशबू हमेशा ही इन गुलाबों में मिले
देख वो बात नहीं तस्वीर में उसकी तो
खूबसूरती देख ले तू ही हिजाबों में मिले
किस तरह मैं यकीं उस पे करूँ कैसे अब तो
प्यार की ही न झलक यार जवाबों में मिले
इसलिए चैन नहीं दिल को मिला है मेरे
उसकी तस्वीर न ही यार किताबों में मिले
वो कभी आया न मिलने को हक़ीक़त में ही
वो आकर खूब मुझे ए "आज़म" ख़्वाबों में मिले
आज़म नैय्यर
