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Bhavna Thaker

Inspirational

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Bhavna Thaker

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किताबों की दुनिया

किताबों की दुनिया

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एक वक्त ऐसा भी था जब किताबें जीवन आधार थी,

नहीं था कोई मीडिया या मोबाइल सिर्फ़ किताबें ही ज्ञान पाने का पर्याय थी..


किताबों की दुनिया को नकार रही आजकल की पीढ़ी परे होती जा रही है पठन से,

छोटे से मशीन में सिमट कर रह गया साहित्य अंगूठे के इशारे पर बड़े-बड़े ग्रंथ

खुल जो जाते है..


पन्नों पर गढ़ी जाती थी एक दिन कहानियाँ, कविताएँ और कलमा पढ़ा जाता था,

आज सुने पड़े पुस्तकालयों में दीमक का खुराक बनें पड़ी है किताबें..


गीता का ज्ञान और महाभारत से बहती है धर्म और भक्ति की गंगा

पर किसे वक्त है जो पन्ना भी पलटें, दो कवर पृष्ठों के बीच उदास पड़ी है किताबें..


लेखकों की भरमार है पर कहाँ चलाता है कोई कलम की नोंक दवात में डूबो कर,

मोबाइल या कंप्यूटर पर उँगली और अंगूठा कमाल दिखा रहे है..


किताबों की दुनिया बिखर गई है पाठकों के दिमाग में ईपेपरों की दुनिया घूस गई है,

बचानी है गर साहित्य की धरोहर तो अँजुरी भर अपनापन दिखाकर

किताबों की आत्मा को जगाना होगा..


नवसर्जन नामुमकिन नहीं खोल दो खिड़की झरोखे की,

कलम की धार को तेज़ कर लो दवात में स्याही श्याम भरकर कल्पनाओं पर सवार होकर

सजीव कर लो पन्नों पर पंक्ति..



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