किसे वक्त है जो पन्ना भी पलटें, दो कवर पृष्ठों के बीच उदास पड़ी है किताबें.. किसे वक्त है जो पन्ना भी पलटें, दो कवर पृष्ठों के बीच उदास पड़ी है किताबें..
साथ खेलने-खिलाने से बनते थे रिश्ते, होती थीं बातें अब अंगूठे से फिसलती है दुनिया, यूँ साथ खेलने-खिलाने से बनते थे रिश्ते, होती थीं बातें अब अंगूठे से फिसलती है दुन...